8461002150

आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर हम बात कर रहे है उन लोगों के लिए जो इसमें फंस चुके है वो इससे कैसे निकले ? निश्चित रूप से इसमें से निकलना आसान नहीं है ये बात मैं बहुत अच्छे से जानता हूं क्योंकि मैं लगभग 20 साल इसमें फंसा रहा हूँ। 3 से 4 साल तक तो ये लेना मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि ये लेते ही मूड चेंज हो जाता है और अच्छा महसूस होने लगता था,रात को पढ़ने में नींद भागने में भी मुझे मदद मिली थी परंतु कुछ साल गुजरने के बाद जब मुझे इसके नुकसान महसूस होना शुरू हुए जैसे इसकी मात्रा लगातार बढ़ती जा रही थी , मैं जल्दी थक जाता था और खांसी बुखार में भी मैं चाहकर भी इसको बंद नहीं कर पाता था जिसके कारण मुझे खांसी लंबे समय बनी रहती थी। छोड़ने की इच्छा होते हुए भी इससे निकलने में मुझे 16-17 साल लग गए। आज मैं तम्बाकू से 6 साल से दूर हूँ । आज मैं देखता हूँ कि अधिकतर व्यक्ति जो लंबे समय से इसका उपभोग कर रहे है वो इसको छोड़ना चाहते है पर इससे निकल नहीं पा रहे है लोग इसके सामने शक्तिहीन हो गए है । दुर्भाग्यवश अभी तक कोई बहुत प्रभावी उपचार उपलब्ध भी नहीं है। 12th क्लास में मैंने सिगरेट पीना शुरू की कॉलेज ख़त्म होते होते मैं उससे परेशान हो चुका था मैं इससे निकलने की कोशिश कर रहा था, मेरे दोस्तों ने जो की गुटखा खाते थे मुझे ज्ञान दिया की सिगरेट तुम लंबे समय से पी रहे हो एक काम करो सिगेरट की आदत पुरानी है इसको बंद करने के लिए कुछ दिन गुटखा खाओ जब सिगरेट का मन होना बंद हो जाये तब धीरे से गुटखा बंद कर देना । इस आईडिया ने कुछ दिन तक तो कम किया कुछ दिन बाद में सिगरेट और गुटखा दोनों लेने लगा।
मैंने 16-17 साल में हजारों कोशिश की सैकड़ों बार कसमे खाई की कल से बंद करना है रात के 12 बजे तक ढ़ेर सारी सिगेरट पीता था और रात के ठीक 12 बजे बची हुई सिगरेटें फेक देता था । मेरे दिमाग में सालों तक चलता रहा है कि कल से सिगेरट और गुटखा बंद, लेकिन हुआ नही। सैकड़ों बार मैंने दोस्तों और परिवार के बीच घोषणा कर दी की अब जीवन भर के लिए बंद कर दिया है और कई बार कुछ दिन के लिए हुआ भी पर फिर जल्दी ही शुरू हो जाता था। कुछ दिन बंद करने के बाद एक अधूरापन सा लगता था और एक दिन विचार आ जाता था कि बस आज पी लेता हूं कल से फिर से बंद कर दूंगा लेकिन एक बार जब दुबारा शुरू होती थी तो फिर से बंद नहीं कर पाता था जितने दिन बंद करी होती थी उसका कोटा भी फिर पूरा करता था।लगातार खांसी कफ बना रहता था ,जरा सा काम करने में मेरी हालात खराब हो जाती थी। मैं और नहीं लेना चाहता था किंतु खुद को रोक भी नहीं पाता था।
ऐसे समय में मुझे मेरे एक मित्र से तम्बाखू से दूर होने के एक अमेरिकन प्रोग्राम जिसका नाम निकोटीन एनोनिमस है के बारे में पता चला ये प्रोग्राम अभी तक मेरे द्वारा अपनाए गए विचारों से बिलकुल अलग था । मैं पहले अपने को मजबूत करता था कि मैं इसे जीवन भर को छोड़ सकता हूँ हालाँकि छोड़ नहीं पा रहा था पर ये कार्यक्रम कहता है कि बहुत कोशिश कर चुके हो अब ये मान ही लो की तुम हमेशा को नहीं छोड़ सकते हो ,यही ये कार्यक्रम कहता है कि आप छोड़ तो नहीं सकते किंतु कुछ टूल्स की मदद से एक दिन के हिसाब से इसको बंद रख सकते हो, इसने एक स्लोगन दिया है “जस्ट फॉर टुडे” या “केवल आज के दिन” ये कहता है कि हमें अपने दिमाग की प्रोग्रामिंग जो की “कल से बंद” के हिसाब से हो गयी है और टेक्निकली ‘कल’ कभी आता नहीं है हम कभी यह नहीं कह सकते कि आज कल है ,ये प्रोग्राम कहता है ही हमें जीवन भर का लोड लेने की जरूरत नहीं है जब हम कहते हैं ना कि कल से जीवन भर नहीं पियूँगा तो दिमाग कहता है कि इतना बड़ा त्याग करने वाले है कल से कभी नहीं पीयेंगे तो आज तो जम के पी लेते है क्योंकि कल से तो फिर जीवन भर नहीं पीना है। और जब अगले दिन जब हम उठते है तो दिमाग में तो हमारे ये ही सेट है कि कल से बंद करना है जबकि आज तो ‘आज’ है। इस कारण हम बंद नहीं कर पाते है।इस निकोटीन एनोनिमस नाम के प्रोग्राम ने कहा कि हम अपना तम्बाखू बंद करेंगे वो भी केवल एक दिन के लिए और वो दिन आज का रहेगा ये प्रोग्राम केवल एक दिन पर फोकस करने का बोलता है आज के दिन। 12 जून 2013 से आज तक मैं केवल एक ही दिन बंद करने का सोच कर बैठा हूँ केवल आज के दिन, यकीन मानिये लगभग 6 साल से मैं अपने को आज मैं ही पाता हूं मेरा आज ख़त्म नहीं हो पा रहा है जबकि जब तक मैं कल से बंद करने का बोलता था सालों तक मेरा कल नहीं आया।अब आज तक मैंने किसी से नहीं बोला की मैंने तम्बाखू छोड़ दिया है, आज लगभग छह साल होने पर भी मेरा एक ही लक्ष्य रहता है कि किसी तरह आज का दिन बिना तम्बाखू के निकल जाये। मैंने देखा है कि लोग 3-4 साल भी बंद करने के बाद शुरू कर देते है इससे निकलना आसान नहीं होता है एक से एक पढे लिखे लोग इससे नहीं निकल पा रहे है । इसीलिए मैं भी नहीं सोचता की मैं इससे निकल सकता हूँ मेरा टारगेट है कि बस आज का दिन बिना तम्बाखू के निकल जाये।
ये प्रोग्राम एक आध्यात्मिक कार्यक्रम है जी की कहता है कि आज के दिन भी हम खुद इससे दूर नहीं हो सकते है इसके लिए हमें ईश्वर की मदद लेनी होगी। आज जब मैं सबेरे उठा था तो बिस्तर से उतरने से पहले आज छटवे साल में भी मैंने ईश्वर से प्रार्थना की थी कि प्रभु आज मुझे नशे से बचाना और दिन ख़त्म होने पर सोने से पहले यदि मैंने नहीं पी तो मैं ईश्वर का धन्यवाद करूँगा आज के दिन नशे से दूर रखने के लिए।यकीन मानिए प्रार्थनाएं काम करती है।
ये एक निश्चित बात है कि तम्बाखू की शारीरिक निर्भरता बहुत ज्यादा होती है ये बंद करने पर शारीरिक और मानसिक
विदड्रॉल सिम्पटम
आते है जिनसे जोड़ों में दर्द, अनिंद्रा , एकाग्रता में दिक्कत,सोचने और काम करने में दिक्कत,भूख कम या ज्यादा लगना और मसूड़ों और सर में खिंचाव होता है ये सब लगभग 14 दिन तक रहता है उसके बाद लगातार कम होता जाता है। ये कष्ट उस कष्ट के सामने कुछ भी नहीं है जो हमें पीते रहने पर हो रहे है या होने वाले है। इसके साथ ये बात भी पक्की है कि तम्बाखू एकदम से बंद करने पर शराब की तरह जान जाने का खतरा नहीं होता है ।
जब तम्बाखू बंद करेंगे तो शरीर को तेज़ तलब होगी इसके लिए कुछ रिसर्च बताती है की खट्टी चीजों में तम्बाखू की तलब काम करने के गुण होते है जब भी हम तम्बाखू बंद करें उस दिन अपने आहार में दही,मठा, संतरा,आंवला,नींबू, आम और अमरुद जैसी चीजें बढा दे।

देखा गया है कि एकदम से तम्बाखू बंद करने से मोशन की समस्या हो जाती है इसके निदान के लिए हमें अपने भोजन में सलाद और पपीते को मात्रा बढ़ा देनी चाहिए और सबेरे उठकर गर्म पानी लेना चाहिए। ये समस्या काफी हद तक काम हो जायेगी।

तम्बाखू पीने में अच्छा अनुभव होता है या कहें कि मजा आता है इसका कारण तम्बाखू में निकोटीन नाम के पदार्थ का होना है ये एक नशा उत्पन्न करने वाला एडिक्टिव सब्स्टेन्स मतलब लत लगाने वाला पदार्थ है हम जब तम्बाखू लेते है और ये निकोटीन हमारे मस्तिष्क में पहुँचता है और हमें अच्छा फील करवाता है। ये मज़ा हमारे दिमाग में लॉक हो चुका है इसी मज़े को लेने के लिए हम बार बार पीते है। व्यक्ति का कितना भी नुकसान हो रहा हो पर वो यही सोचता है कि बस आज और पी लेता हूँ कल से बंद कर दूंगा मैं अपने अनुभव के आधार पर जनता हूँ कि कल से बंद करने का निर्णय ईमानदारी से लिया हुआ होता है पर हो नहीं पता है।
तम्बाखू की शारीरिक और मानसिक निर्भरता बहुत ज्यादा होती है एकदम से तम्बाखू बंद करने पर गुस्सा,बेचैनी और चिड़चिड़ापन आता है जो हमको फिर से पीने को मजबूर करता है हमें इसका समाधान करना ही होगा। इसको दूर करने के लिए मैं आपको दो उपाय बताता हूँ
पहला ये है कि हमें किसी तरह का व्यायाम करना चाहिए क्योंकि व्यायाम करने से हमारे दिमाग में एक सिरेटोनिन नाम का केमिकल निकलता है जो की हमें अच्छा फील करवाता है,इसीलिए सर्वे बताते है कि व्यायाम करने वालों का मूड अधिकतर अच्छा रहता है।
दूसरा हमें अपने मूड को ठीक रखने के लिए शुरुआत में छोटे छोटे काम करने चाहिए है इसका कारण यह है कि जब हम कोई काम पूरा करते है और हमारे दिमाग में ये विचार आता है कि हो गया इसके साथ ही हमारे दिमाग में एक डोपामाइन नाम का केमिकल रिलीज़ होता है जो की हमें अच्छा फील करवाता है। ये काम हो सकते है कोई अलमारी जमाना , कपडे धोना ,पेड़ों में पानी देना या और कुछ भी जो की जल्दी पूरा हो जाये आप देखना आपका मूड अच्छा हो जायेगा ऐसा दिमाग में इस केमिकल के रिलीज़ होने के कारण होता है।

ये निश्चित जानिए की केवल ये सोचने से की अब कभी नहीं पियूँगा कुछ नहीं होने वाला है ये हम पहले सैकड़ों बार कर चुके है । इसके लिए एक्शन लेने की जरूरत है बहुत कुछ करना पड़ेगा तब जाकर इसका समाधान मिलेगा वो भी एक दिन के लिए ही। हमें आजीवन आज के दिन अलर्ट रखना होगा और ऊपर बताये गए एक्शन लेने होंगे।इसके अतिरिक्त जिन दोस्तों के साथ तम्बाखू लेते है उनसे दूरी बनाए क्योंकि निश्चित रूप से उनको बुरा लगेगा कि ये क्यों छोड़ रहा है क्योंकि चाहते तो सब है पर कर नहीं पाते है वो पूरी कोशिश करेंगे की आप दुबारा लेने लगो।

अपने मूड पर लगातार काम करना होगा कोई भी गुस्सा,अपराधबोध या खुन्नस हमें फिर से तम्बाखू की ओर ले जा सकते है ।मूड अच्छा रखने के लिए ध्यान करना भी बहुत अच्छा समाधान है ये हमें अपना स्वामी बनने में मदद करता है मतलब हम जो नहीं करना चाहते उन कामों को नहीं करते है।

तम्बाखू बंद करते ही साथ फ़ौरन ही इसके फायदे होना शुरू हो जायेंगे
जिससे जीवन तो बढेगा ही उसकी गुणवत्ता भी अच्छी होती जाएगी
तम्बाखू बंद करने के 8 घंटे के अंदर शरीर से निकोटीन निकलना शुरू हो जायेगा , ह्रदय गति और ब्लड प्रेशर नार्मल होना शुरू हो जायेगा तथा रक्त में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ना शुरू हो जायेगा:

12 घंटे बाद आपके शरीर में निकोटीन पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा;

24 घंटे बाद आपके खून में से कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर एकदम से बहुत कम हो जायेगा;

3 से 5 दिन बाद स्वाद लेने और सूंघने की क्षमता में सुधार आ जायेगा और आप कुछ अच्छा महसूस करने लगेंगे और नींद भी बेहतर हो जायेगी;

1 महीने के बाद आपको अपनी प्रतिरोधक क्षमता में सुधार दिखाई देगा और पहले की अपेक्षा लंबी सांस ले पाएंगे जिससे एक्सरसाइज करने में आसानी अनुभव करेंगे;

2 महीने बाद आपको स्मोकिंग के कारण जो ज्यादा कफ बनता था वो बनना बंद हो जायेगा,ब्लड प्रेशर का लेवल नार्मल व्यक्ति की तरह हो जायेग तथा शरीर में ब्लड के सर्कुलेशन में सुधार आएगा ये आसानी से हाथ और पांव तक जायेगा;

3 माह बाद फेफड़े साफ होने का सिस्टम ठीक हो जायेगा;

1 साल बाद हार्ट डिजीज से मृत्यु का खतरा अभी भी धूम्रपान करने वाले की तुलना में आधा रह जायेगा;

5 साल बाद मुँह और गले का कैंसर होने का खतरा अभी भी धूम्रपान कर रहे व्यक्ति की तुलना में आधा रह जायेगा;

10 साल बाद फेफड़े का कैंसर होने का खतरा अभी भी धूम्रपान कर रहे व्यक्ति की तुलना में आधा रह जायेगा;

15 साल बाद हृदय रोग और लकवे का खतरा एक ऐसे व्यक्ति के बराबर हो जायेगा जिसने कभी धूम्रपान नहीं किया है।

इसी के साथ आपको आज के दिन तम्बाखू से दूर होने की शुभकामना देता हूं। धन्यवाद।

WhatsApp chat
Call Now Button