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जो व्यक्ति लंबे समय से अधिक मात्रा में कोई मादक पदार्थ जैसे शराब, स्मैक, हेरोइन, दर्द के इंजेक्शन, टेबलेट्स आदि ले रहे होते है उनके शरीर इसके ऊपर निर्भर हो जाते है जिसको शारीरिक निर्भरता कहते है। इसमें नशा पीड़ित जब तक नशा न कर ले उसका शरीर सामान्य नही होता है और यदि वह बंद करने की कोशिश करता है तो उसका शरीर प्रतिक्रिया देता है जिसको विथड्रावल सिंड्रोम कहते है इसके कारण मादक पदार्थ न मिलने पर उसका पूरा शरीर कांपने लगता है, उसको जोड़ों में दर्द होता है, कुछ भी खाने या पीने पर उसको उलटी हो जाती है, आँखों से पानी बहने लगता है, तेज सिरदर्द आदि होने लगता है।
यदि और ज्यादा निर्भरता हो तो व्यक्ति हलूसिनशन (hallucination) में चला जाता है इसमें उसको व्यक्ति, स्थान और समय को बोध नही रह जाता है वह लोगों को पहचान नही पाता है, कहाँ है उसको बोध नही होता तथा क्या समय हो रहा है इसकी उसे जानकारी नही रह जाती है इसके अतिरिक्त इस स्थिति में उसको आवाजें सुनाई देने लगती है और जो नही होता वह दिखाई देने लगता है।
अत्यधिक निर्भरता होने पर व्यक्ति डिलिरिम ट्रेमेन्स (Delirium’s tremens) में चला जाता है यह वह अवस्था है जब अचानक नशा बंद होने से व्यक्ति कोमा में चला जाता है और हृदय गति असामान्य हो जाती है जिससे कार्डियक अरेस्ट से उसकी मृत्यु भी हो जाती है।
उपरोक्त स्थितियों से चिकित्सकीय सहायता से आसानी से निपटा जा सकता है दवाइयों द्वारा अचानक नशा बंद करने से होने वाली परेशानियों से निजात पाई जा सकती है। इस उपचार को विथड्रावल ट्रीटमेंट कहा जाता है।
नशा मुक्ति केंद्र में इसके लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ की टीम उपलब्ध है।
नशा मुक्ति केंद्र भोपाल और रायपुर में केंद्र के माध्यम से बिलासपुर, विदिशा, गुना मे विथड्रावल ट्रीटमेंट कर रहा है।

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